लेखनी कहानी -09-Sep-2023
कौन कहता है कि मुहब्बत बेजुबां होती है ये वो दासतां है जो आंखों से बयां होती है पलकें झुके तो इकरार समझो उठे तो प्यार झुकी हुई गर्दन से जाहिर उनकी हया होती है
अधखुले अधर शर्म से कह न पाये दो लब्ज एक मुस्कुराहट से दिल की धड़कनें जवां होती हैं जुल्फों को बिखरा के चेहरे पे ताकना उसका हाय , यही अदा तो उसकी एक कयामत होती है
उनकी गली को रहती हैं आंखें हरदम ही ताकती दिल धक से रह जाता है , जब भी आहट होती है एक निगाह डालकर इधर यूं बेरुखी से गुजर जाना सरे बाजार बरबाद ए दिल की यूं नुमाइश होती है
श्री हरि 9.9.23
Gunjan Kamal
09-Sep-2023 09:51 PM
बहुत खूब
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